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नैनीताल :: न्यायालयों में ड्रेस कोड में पहाड़ी टोपी को शामिल किए जाने व अधिवक्ताओं व समाज के समक्ष वर्तमान चुनौतीपूर्ण परिस्थतियों के विरुद्ध एक सक्षम व समग्र आंदोलन के रूप में पहाड़ी संस्कृति के परिचायक टोपी के माध्यम से हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने जनजागरण अभियान शुरू किया है । अधिवक्ता इस सम्बंध में जल्द ही हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश व बार कौंसिल के समक्ष प्रत्यावेदन देंगे ।
इस अभियान के संयोजक हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एम सी पन्त ने बताया कि इस जनजागरण अभियान में अधिवक्ताओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है । हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के निवर्तमान अध्यक्ष अवतार सिंह रावत, पूर्व सांसद डॉ0 महेंद्र सिंह पाल,ललित बेलवाल,एस के जैन,विवेक शुक्ला,कमलेश तिवारी,भुवनेश जोशी,सुंदर सिंह भंडारी,उत्तम सिंह भाकुनी,प्रेम कौशल,योगेश पचौलिया,नन्दन सिंह कन्याल , मोहम्मद उमर , डॉक्टर कार्तिकेय हरि गुप्ता, त्रिलोचन पांडे,आदि इस अभियान को आगे बढ़ रहे हैं । एम सी पन्त ने बताया कि यह टोपी स्वतन्त्रता आंदोलन के समय पं. बद्रीदत्त पांडे के नेतृत्व में हुए कूली बेगार आंदोलन की शान रहा । यह उत्तराखण्ड की पहचान भी है । इसलिये टोपी को व्यापक मान्यता दिए जाने की जरूरत है । उन्होंने बताया कि हिमांचल प्रदेश, पंजाब हाईकोर्ट में वहां की परम्परागत टोपी व पगड़ी व दक्षिण भारत के उच्च न्यायालयों में वहां के परंपरागत परिधान पहनने की अनुमति है । इसलिये उत्तराखण्ड हाईकोर्ट में भी पहाड़ी टोपी पहनने की अनुमति मिलनी चाहिये ।

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