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नैनीताल :: उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने ऋषिकेश एम्स में विभिन्न पदों की भर्ती में हुई अनियमितताओ के खिलाफ दायर ऋषिकेश निवासी आशुतोष शर्मा की जनहीत याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद कोर्ट की खण्डपीठ ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार व एम्स के निदेशक से चार सप्ताह के भीतर जवाब पेस करने को कहा है । मामले की अगली सुनवाई 14 दिसम्बर की तिथि नियत की है।
आपको बता दे कि याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि केन्द्र सरकार की ओर से दिल्ली एम्स की तर्ज पर ऋषिकेश में एम्स की स्थापना की गयी है। संस्थान में पदों को भरने के लिए स्पष्ट आरक्षण दिया गया। लेकिन प्रो रविकांत के कार्यकाल में अन्य पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति/जनजाति की सीटों की भर्ती में 32 डॉक्टरों की नियुक्ति बिना प्रक्रिया के पालन किए अपने परिजनों व करीबी लोगों को नियुक्ति दे दी गयी। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि निदेशक प्रो रविकांत की पत्नी डा बीना रवि को अवैध ढंग से सर्जरी विभाग में बतौर संविदा प्रोफेसर नियुक्त कर दिया गया। प्रो रविकांत के बहनोई की भी विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर नियुक्त कर दी गयी। यौन उत्पीड़न जैसे आरोप के चलते उन्हें दो साल में ही छोड़कर जाना पड़ा। जनहित याचिका में निदेशक के करीबी दोस्त एसपी अग्रवाल को भी बिना किसी साक्षात्कार व प्रक्रिया के सर्जिकल ओंकोलॉजी विभाग में तैनात कर दिया गया। जब इसकी शिकायत केन्द् सरकार व सीईसी से की गयी तो उनकी शिकायत पर कोई कार्यवाही नही हुई। याचिकाकर्ता ने उक्त प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है।

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