ख़बर शेयर करें -

नैनीताल :- उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता है इसके पिछे उत्तराखंड की देव संस्कृति छिपी हुई है। हिन्दू धर्म के चार धाम विश्वप्रसिद्ध हैं पर उत्तराखंड में हजारों धाम ऐसे हैं जो अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण हैं। उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़ी हुई एक पारम्परिक प्रथा बाबा विश्वनाथ जगदीश शीलाडोली की 24वीं डोली रथ यात्रा आज देर शाम नैनीताल स्थित मां नैना देवी प्रांगण में पहुंची जहां बाबा विश्वनाथ की डोली का स्वागत बड़ी ही धूमधाम और पारम्परिक तरीके से किया गया। रथ यात्रा उत्तराखंड के तेरह जनपदों की यात्रा के लिये निकाली गयी है। रानीखेत ,कैंची धाम और भवाली होते हुए नैनीताल पहुंची जिसके बाद डोली हल्द्वानी विश्राम करेगी 12 जून को गंगा दशहरे के दिन गंगा स्नान कर यात्रा का समापन होगा। यात्रा का अगुवाई कर रहे। पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी का कहना है। कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य विश्व में शांति कायम हो और देव संस्कृति की रक्षा के साथ ही हमारे चारो धामों सहित बाकी उत्तराखंड के अन्य धामों के विकास के रथ का पहिया भी आगे बढ़े। इस यात्रा का मूल संकल्प हमारे खेत खलियान जो बंजर पड़े हैं उनको आबाद करना है ताकी उत्तराखंड के उजाड़ गांवों को बसाने के साथ ही पहाड़ों से पलायन को रोका जा सके।

यह भी पढ़ें 👉  हाईकोर्ट ने अपनी मां, बड़े भाई व गर्भवती भाभी की तलवार से काटकर निर्मम हत्या करने के आरोपी को निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा को निरस्त करते हुए निचली अदालत को दुबारा मामले को सुनने के लिए लौटाया
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments