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नैनीताल ::- पृथ्वी हमारे अस्तित्व का केंद्र है तथा जीवन का आधार है किंतु मानव इसके विध्वंस का जिम्मेदार है । पृथ्वी की उत्पत्ति लगभग 5000 मिलियन वर्ष पहले मानी जाती है। 22 अप्रैल को दुनिया में पर्यावरण संरक्षण के लिए पृथ्वी दिवस आयोजित किया जाता है। इस दिवस को अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में पर्यावरण संरक्षण के लिए आयोजित किया। वर्तमान में 192 से अधिक देशों में हर वर्ष इसे मनाया जाता है। अप्रैल की यह तारीख उत्तरी गोलार्द्ध में वसन्त और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद का मौसम है। पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन है। धरती पर जीवन को बचाये रखने के लिये पृथ्वी की प्राकृतिक संपत्ति को बनाये रखना तथा सतत विकास अनिवार्य है । धरती पर लोगों के रहन-सहन के लापरवाह नजरिये के साथ ही औद्योगिकीकरण की दिनों-दिन बढती दर के बारे में लोगों को जागरुक बनाने के लिये विस्कॉन्सिन से यूएसए सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने इस दिन की नींव रखी। उनके द्वारा यह कदम अपने ग्रह की संपत्ति का सम्मान, प्रोत्साहन करने के साथ ही लोगों के बीच प्राकृतिक संतुलन के विचार को बढ़ाने के लिये विश्व पृथ्वी दिवस मनाया ।
, ग्लोबल वार्मिंग सहित जीवन संपदा को बचाने के लिए पर्यावरण को संतुलित रखने के बारे में जागरूक जरूरी है। जनसंख्या की बढ़ोतरी ने प्राकृतिक संसाधनों का बोझ बढ़ाया है । आईपीसीसी अर्थात जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल के मुताबिक 1880 के बाद से समुद्र स्तर 20 प्रतिशत बढ़ गया है, और यह 2100 तक बढ़ कर 58 से 92 सेंटीमीटर तक हो सकता है, जो की पृथ्वी के लिए ख़तरनाक है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियरों का पिघलना जिसके कारण पृथ्वी जलमग्न हो सकती है।आईपीसीसी के पर्यावरणविद के अनुसार 2085 तक छोटे छोटे द्वीप पूरी तरह से जलमग्न हो सकते है ।पृथ्वी दिवस का महत्व मानवता के संरक्षण के लिए महत्पूर्ण है ।जीवाश्म इंधन के उत्कृष्ट उपयोग के साथ ग्लोबल वार्मिंग के प्रचार पर सकारात्मक प्रभाव तथा उर्जा के भण्डारण और उसके अक्षय के महत्व को बताते हुए उसके अनावश्यक उपयोग के लिए हमे सावधान करता है। कार्बन डाई ऑक्साइड ,सी एफ सी, मीथेन गैस उत्सर्जन की गतिविधियों की पर्यावरण के लिए नुकसान दायक है ।1960 के दशक में कीटनाशकों और तेल के फैलाव को लेकर जो जनता ने जागरूकता दिखाई थी, उस जागरूकता की वजह से नई स्वच्छ वायु योजना बनी थी। इस वजह से अब जो भी नया विधुत सयंत्र बनता है, उसमे कार्बन डाइऑक्साइड को कम मात्रा में उत्सर्जित करने के लिए अलग यन्त्र लगाया जाता है जिससे की पर्यावरण में इसका कम फैलाव हो और नुकसान कम हो और प्रौधोगिकी के क्षेत्र में निवेश करता हो।
कैलिफोर्निया के सांता बारबरा में 1969 में गायलोर्ड नेल्सन को बड़े पैमाने पर तेल गिरने के बाद, बिजली सयंत्र, प्रदुशित अपशिष्ट पदार्थों, जहरीली धुआं, जंगल की हानि और वन्यजीवों के विलुप्त होने के खिलाफ़ पर्यावरण पर ध्यान के लिए इस दिवस को मनाने का विचार आया. उन्होंने ऐसा महसूस किया कि अगर हवा और जल को इन जागृत नव चेतना के साथ सम्मलित कर दे, तो वह पर्यावरण चेतना को राष्ट्रीय राजनीतिक एजेंडे में सम्मिलित कर इसको आगे बढ़ा सकते है.। उसके बाद 22 अप्रैल 2023 को पृथ्वी दिवस की थीम इन्वेस्ट इन और प्लैनेट है ।
पृथ्वी पर हमे 17लाख 50हजार प्रजातियां ज्ञात है। मानव द्वारा उत्पन्न प्राकृतिक असंतुलन और प्रदूषण से अब तक कई प्रजातियां विलुप्त भी हो चुकी है।
प्रजातियों की रक्षा करना और साथ ही उनके आवास को भी सुरक्षित रखे। इसके साथ एक ऐसे वैश्विक आंदोलन की शुरुआत करें, जो प्रकृति और इसके मूल्यों को बढ़ावा देता है।
प्रत्येक व्यक्ति को पौधारोपण को अपनाने और कीटनाशक को शाकनाशी के प्रयोग को रोकने के लिए प्रोत्साहित करना
पौधा लगाकर आस पास के वातावरण को सुंदर बनाने के साथ साथ, पक्षियों को आवास और भोजन प्रदान करना तथा मिट्टी के होने वाले कटाव को रोकने में भी मदत मिलेगी और यह पृथ्वी दिवस मनाने का एक बेहद ही सरल और कारगर तरीका साबित होगा।
वेस्ट मटेरियल पर रिसाइक्लिंग तथा समूह सहित किसी पार्क, बीच, नदी का किनारा या किसी लोकल एरिया को साफ करने का अभियान सार्थक कदम है।
“पर्यावरण संरक्षण” हेतु पृथ्वी दिवस पर 192 देशों में कई अरब लोग जुड़ते है । यह दिवस नदियों, झीलों, पानी के साफ़ सफाई और उनके गुणवत्ता में सुधार लाने का आह्वान करता है ।
यह दिवस सुरक्षित जलवायु के लिए तथा पर्यावरण बचाव और उर्जा संरक्षण नीति को बढ़ावा देने का कार्य करता है ।, अगर हम जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव को रोकते हुए, और भूमि, वायु, पानी और अन्य प्राकृतिक संसाधन को रोकते हुए, जीव जंतुओं के कष्ट को कम करने का प्रयास करते है। अपनी पृथ्वी ग्रह को रहने योग्य बनाने के लिए और इसे सुरक्षित रखने के लिए हम क्या कर रहे है।तथा पृथ्वी पर जितनी भी प्रजाति है उसे हम सभी एक समान है.
हेनरी डेविड के अनुसार, भगवान का शुक्र है कि इन्सान उड़ नहीं सकता, नहीं तो यह आकाश को भी गन्दा कर देता पृथ्वी की तरह और उसे बर्बादी के कगार तक पंहुचा देता.
रविन्द्र नाथ टैगोर के अनुसार पृथ्वी को पेड़ से सजाकर स्वर्ग जैसा बनाने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए, पेड़ से बाते करना उन्हें सुनना ये सब महसूस करना ही स्वर्ग सी अनुभूति देता है।
पुरे ब्रह्माण्ड में पृथ्वी जैसा जीवन, सुन्दरता, प्यार और इतनी शांति कही भी नहीं मिलेगी, इसलिए जब की आप इस पृथ्वी के निवासी है तो आप यहाँ रहने का आनंद ले और मिल जुल कर सभी प्राणियों केसाथ रहे।
दूसरों की तुलना में हम ज्यादा पेड़ लगाकर बदलाव कर सकते है. धरती और इससे जुड़े भावना को बचाना मुश्किल है लोग इसे विनाश की तरफ ले जा रहे है, लेकिन पृथ्वी पर रहने वाले जीव बहुत बुद्धिमान है क्योकि वे इसे बचाए रखने के लिए अपनी जवाबदेही को पहले ही समझ के इसके लिए प्रयासरत है।महात्मा गांधी का कथन को हम दुनिया में जो भी बदलाव लाना चाहते है उससे पहले उसे खुद पर लागू करना चाहिए।

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