नैनीताल :: उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने नैनीताल में स्थानीय लोगो व सफाई कर्मचारियों द्वारा बांज के पत्ते जलाए जाने को लेकर मुख्य न्यायधीश को प्रेषित पत्र का स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने नगर पालिका का पक्ष सुनने के बाद जनहित याचिका को निस्तारित कर दी । आज नगर पालिका नैनीताल की ओर से कहा गया कि नगर पालिका परिक्षेत्र में बाज के पत्तो को नही जलाया जा रहा है। नगर पालिका ने बांज के सूखे पत्तों को इक्कठा करने के लिए तीन पंत पार्क , एक केनेडी पार्क व 5 स्कूलों में कम्पोजिस्ट पीट लगाए है। अगर कोई फारेस्ट एरिया में जलाता है तो उसकी जिम्मेदारी फारेस्ट की है। भविष्य में कोई पत्तों को जलाता हुआ पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ नगर पालिका कार्यवाही करेगी। इसी आधार पर कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया। मामले के अनुसार मेधा पांडे विधि की छात्रा दिल्ली विस्वविद्यालय ने 23 मार्च 2022 को मुख्य न्यायधीश को पत्र प्रेषित किया था। जिसका मुख्य न्यायधीश ने इन री ओपन बर्निंग ड्राईओक लीव्स के नाम से जनहित याचिका के रूप में संज्ञान लिया। पत्र में कहा गया कि नैनीताल बांज के जंगल से घिरा हुआ है। जिसकी शुखी हुए पत्तियाँ सड़क, गलियों,छतों में गिरती रहती है। स्थानीय लोग व सफाई कर्मचारीयो द्वारा रोड, गलियों ,व छतों को साफ करते समय इनको जलाया जाता है। जिसका प्रभाव यहाँ के पर्यावरण व अस्वस्थ्य लोगो पर पड़ रहा है। लिहाजा इस पर रोक लगाई जाए। पत्र में उनके द्वारा यह भी कहा गया बांज की पत्तियां बहुत ही उपयोगी है। इसे न जलाकर इसकी खाद बनाई जा सकती है और ये पत्तियां जमीन की नमी को बनाई रखती है इनके नीचे कई प्रकार के कीड़े साँप आदि रहते है। इस पर रोक लगाई जाए।