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नैनीताल ::::- राजकीय महाविद्यालय मालधानचौड़ में स्वतंत्रता सप्ताह कार्यक्रम के तहत अमृत महोत्सव के अंतर्गत 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्राचार्या डॉ.सुशीला सूद द्वारा महाविद्यालय भवन में ध्वजारोहण कर हर घर तिरंगा अभियान चलाया साथ ही पंच प्रण प्रतिज्ञा और फ्लैग कोड स्वयंसेवियों को पढ़वाया।
एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी प्रो मनोज कुमार ने स्वयंसेवियों को फ्लैग कोड के अवसर पर प्रकाश डालते हुए फ़्लैग कोड की जानकारी दी-
1. भारतीय राष्ट्रीय ध्वज भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है तथा राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सार्वभौमिक स्नेह, सम्मान तथा निष्ठा है। यह भारत के लोगों की भावनाओं और मानस में एक अद्वितीय और विशेष स्थान रखता है।
2) भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का फहराना / उपयोग / प्रदर्शन राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 द्वारा शासित होता है। भारतीय ध्वज संहिता, 2002 की कुछ प्रमुख विशेषताएँ जनता की जानकारी के लिए नीचे सूचीबद्ध हैं:- • भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को 30 दिसंबर 2021 के आदेश के अंतर्गत संशोधित किया गया था और पॉलिएस्टर या मशीन निर्मित ध्वज से बने राष्ट्रीय ध्वज को अनुमति दी गई है। अब हाथ से काते, हाथ से बुने अथवा मशीन से बने हुए राष्ट्रीय ध्वज कपास/पॉलिस्टर/ऊन / रेशम / खादी के होंगे।
• कोई भी सार्वजनिक/निजी संस्था अथवा शैक्षिक संस्थान का सदस्य सभी दिनों अवसरों, औपचारिक अथवा अन्य अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान के अनुरूप उसे फहरा सकता है।
• भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को दिनांक 19 जुलाई 2022 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया था तथा भारतीय ध्वज संहिता के भाग- II पैरा 2-2 के खंड (XI) को निम्नलिखित खंड द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था:- XI जहाँ ध्वज खुले में प्रदर्शित किया जाता है या जनता के किसी सदस्य के घर पर प्रदर्शित किया जाता है, उसे दिन-रात फहराया जा सकता है।
• राष्ट्रीय ध्वज आकार में आयताकार होगा ध्वज किसी भी आकार का हो सकता है लेकिन ध्वज की लंबाई और ऊँचाई का अनुपात 3:2 होगा।
• जब भी राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित किया जाए, तो उसे पूरा सम्मान दिया जाना चाहिए और उसे प्रत्यक्ष रूप से यथोचित स्थान पर रखा जाना चाहिए।
• क्षतिग्रस्त या मैला-कुचैला ध्वज प्रदर्शित नहीं किया जाएगा।
• ध्वज को किसी भी अन्य ध्वज याध्वजों के साथ एक साथ एक ही स्तंभ पर नहीं फहराया जाना चाहिए।
• ध्वज संहिता के भाग की धारा प्ण् में उल्लिखित गणमान्य व्यक्तियों जैसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, राज्यपालों आदि को छोड़कर किसी भी वाहन पर ध्वज नहीं फहराया जाना चाहिए।
• कोई अन्य ध्वज या बेटिंग राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर या साथ-साथ नहीं रखा जाना चाहिए।
*नोट अधिक जानकारी के लिए, राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 गृह मंत्रालय की वेबसाइट www.mha.gov.in पर उपलब्ध हैं। साथ ही स्वयंसेवियों को सेल्फी इस लिंक merimatimeradesh.gov.in पर जाकर सर्टिफिकेट डाउनलोड कर ग्रुप में भेजने को कहा गया।

इस अवसर पर डॉ. जीसी पंत, डॉ.आनंद प्रकाश, प्रो.प्रदीप चंद्र, लीलाधर पपनै, मो. नफीस, शुभम ठाकुर, राकेश चंद्र, मनोज रावत, जसवंत सिंह, जगदीश चंद्र एवं एनएसएस स्वयंसेवी उपस्थित रहे।

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