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नैनीताल ::- उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मानव वन्य जीव संघर्ष में के खिलाफ दायर जनहित याचिका में पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा मानव जीव संघर्ष को रोकने के लिए अब तक कोई ठोस कदम न उठाए जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए प्रमुख वन सचिव को मानव वन्य जिव संघर्ष की रोख थाम करने हेतु दिए गए पूर्व के आदेशों का अनुपालन न करने पर कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 22 मई की तिथि नियत की है।
कोर्ट की खंडपीठ ने नवंबर 2022 में मामले की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव वन को दिशा निर्देश दिये थे की वह मानव जिव संघर्ष को रोकने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित कर मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकने के लिए रूपरेखा बनाए। ताकि वन्य जीव और मानव संघर्ष को रोक लग सके।
आपकों बता दे कि देहरादून की समाजसेवी अनु पंत जनहित याचिका में कहा है कि प्रदेश के पर्वतीय जिलों में मानव-वन्य जीवों का संघर्ष बढ़ता ही जा रहा है। प्रदेश के कई जिले इससे प्रभावित हो रहे है। आये दिन मानव इन जंगली जानवरों के शिकार हो रहे है । खासकर मानवों पर तेंदुए के हमले बढ़ते जा रहे हैं। लगभग प्रत्येक वर्ष औसतन 60 लोग तेंदुओं के हमले में मारे जाते हैं। पर्वतीय जिलों में सन् 2020 मेें तेंदुए के हमले में 30 लोग मारे गये थे जबकि 85 लोग घायल हुए थे। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया है कि इससे पहाड़ों में पलायन भी बढ़ रहा है। पलायन आयोग ने भी माना है कि सन् 2016 में 6 प्रतिशत लोग पलायन को मजबूर हुए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से मांग की गयी है कि एक कमेटी का गठन किया जाय और कमेटी इसका अध्ययन कर इस मामले का समाधान निकाले। साथ ही आवासीय क्षेत्रों व जंगलों के बीच में तारबाड़ लगायी जाये। कैमरा टेपिंग व तेंदुओं पर रेडियो कॉलर लगाए जायें। साथ ही सरकार एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी करे। जिससे आपात स्थिति से निपटने में सहयोग मिल सके।

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