साथ ही एक करोड़ की लागत से बना आईसीयू वार्ड में डॉक्टर न होने की वजह से संचालन अब तक नही हुआ शुरू
हल्द्वानी :: सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल में एक मार्च से डायलिसिस बंद होने जा रहा है। आपको बता दें कि बेस अस्पताल में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पीपीपी मोड पर संचालित डायलिसिस केंद्र का तीन करोड़ रुपये बकाया है। जिसको लेकर केंद्र संचालक ने भुगतान न हाेने पर एक मार्च से केंद्र को बंद करने की नोटिस चस्पा कर दी है। साथ ही एक करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ आइसीयू स्पेशलिस्ट डाक्टर न होने की वजह से संचालन शुरू नहीं हो पाया है, इस कारण मरीजों को अब भी मेडिकल कॉलेज रेफर करना पड़ रहा है।
बेस अस्पताल में वर्ष 2017 से संचालित नेफ्रो प्लस हेल्थकेयर डायलिसिस करते आ रहा है। प्रतिदिन 70 से 80 मरीजों की डायलिसिस हो जाती है। आयुष्मान कार्ड धारकों का इलाज निश्शुल्क होता है। कंपनी को इसका भुगतान आयुष्मान भारत की ओर से किया जाता है, लेकिन 2019 से अब तक भुगतान नहीं हुआ है।
सेंटर के प्रबंधक महेंद्र बिष्ट का कहना है कि भुगतान नहीं होने पर एक मार्च, 2022 से डायलिसिस सेवा बंद कर दी जाएगी। मरीज डायलिसिस के लिए कहीं और इंतजाम कर लें। इस सूचना के बाद मरीज असमंजस में हैं। इधर-उधर फोन कर सही जानकारी जुटाने में लगे हैं। स्वास्थ्य महानिदेशक डा. तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि इस सेंटर को 26 लाख रुपये भुगतान कर दिया गया है। जल्द ही बजट इन्हें प्राप्त हो जाएगा। सरकारी बजट भुगतान होने में थोड़ा समय लगता है कि लेकिन इसमें किसी तरह की दिक्कत नहीं है।
बेस अस्पताल में आइसीयू बनकर तैयार है। कोरोना काल में केंद्र सरकार की विशेष योजना के तहत एक करोड़ की लगात से इसका निर्माण हुआ है। करीब 10 बेड तैयार हो चुके हैं, लेकिन स्पेशलिस्ट न होने की वजह से आइसीयू का संचालन नहीं हो पा रहा है। गंभीर मरीजों को डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकितसालय रेफर कर दिया जाता है। जबकि मानक के अनुसार आइसीयू के कम से कम दो एनेस्थेटिक और दो सर्जन की आवश्यकता है। इसके साथ ही दक्ष नर्सिंग स्टाफ की भी जरूरत है। शासन को कई बार पत्र भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक न ही डाक्टर मिले और न ही दक्ष स्टाफ।