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नैनीताल ::::::- उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के खासकर दुर्गम और अतिदुर्गम क्षेत्रों में पलायन ग्रस्त गावों में अकेले रह गए वृद्धों को मूलभूत सुविधा देने को लेकर दायर जनहित याचिका पर  सुनवाई करते हुए कोर्ट की खण्डपीठ ने याचीकाकर्ता से 6 सप्ताह के भीतर सपथपत्र पेश करने को कहा है। कोर्ट ने शपथपत्र में यह भी बताने को कहा है कि ऐसे कितने वरिष्ठ नागरिक है, जिनके द्वारा इसके लिए आवेदन किया गया। सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि उनके पास मदद के लिए आवेदन नही आये। जबकि सरकार इसपर कार्य कर रही है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 6 सप्ताह की तिथि नियत की है।
       आपको बता दे कि बागेश्वर निवासी समाजसेवी और हाईकोर्ट में प्रेक्टिस कर रही अधिवक्ता दीपा आर्या ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि प्रदेश के दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्रों में जिन परिवारों के लोग नौकरी व अन्य कारणों से पलायन कर चुके हैं, उन परिवारों के वृद्ध अकेले ही मुश्किलों से भरा जीवन यापन कर रहे हैं। ऐसे में, देखरेख से विरत इन लोगो के जीवन शरदकाल व बरसातों के साथ अन्य समय भी नरक से बत्तर हो जाते हैं। इन क्षेत्रों में एन.जी.ओ.भी नहीं पहुँच पाती है, जिससे इन्हें समाज की तरफ से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल पाती है। याचीकाकर्ता ने इन वरिष्ठ नागरिकों को केंद्रीय सोशियल वैलफेयर एक्ट 2007  के तहत सहायता दिलाने की प्रार्थना की है। याची ने प्रार्थना में ये भी कहा है कि  सरकार की आंगनबाड़ी व आशा बहनों के माध्यम से ऐसे लोगों का डाटा तैयार किया जाए और सरकार इन्हें नियमों  के तत्काल मदद पहुंचाए। वर्तमान में इन वरिष्ठ नागरिकों को इसकी जानकारी नही है इसलिए सरकार उनको समय समय पर जागरूक भी करें। जनहीत याचिका में आयुक्त आयुक्त कुमायूं, गढ़वाल सहित जिला अधिकारियो को भी पक्षकार बनाया गया है।

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