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नैनीताल टाइम्स ::::- अक्षय तृतीया। वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता हैं। अक्षय का अर्थ है जिसका कभी क्षय न हो अर्थात् जो सदैव स्थाई रहे और स्थाई जो सदैव सत्य है। यह स्वयं सिद्ध है कि सत्य केवल परमात्मा हैं जो सर्वव्यापक हैं,अक्षय और अखण्ड हैं। आज की तिथि भगवान परशुराम के अवतरण की तिथि भी है, परशुराम सप्त चिरञ्जियों में एक हैं। अतः आज की तिथि को चिरञ्जीवी तिथि भी कहते हैं। त्रेता युग का आरम्भ अक्षय तृतीया से ही हुआ अतः इसे युगादि तिथि भी कहते हैं।यह कल्पादि तिथि, चन्दन यात्रा दिवस और देवगुरु बृहस्पति मेष राशि में प्रवेश कर रहे हैं।
उत्तराखंड के प्रमुख धामों की यात्रा आज से प्रारम्भ हो जाती है, बद्रीनारायण और अन्य तीनों धामों के पट दर्शनार्थियों के लिए अनावृत्त होते हैं। भागीरथी और यमुना के उद्गम स्थलों में बने मंदिरों के कपाट आज ही खुलते हैं। आज के दिन किए पुण्य कर्म त्याग, दान, धर्म, जप-तप अक्षय होते हैं। आज के दिन ही केवल वर्ष में एक बार वृन्दावन में भगवान श्रीकृष्ण (बिहारी जी) के चरणों के दर्शन भी होते हैं। आज स्वत आत्म निरीक्षण का दिन और नाश (क्षय) के कार्यों को अक्षय कार्य करने का दिन भी है। आज स्वयं सिद्ध मुहूर्त है, अतः सभी मांगलिक कार्य सम्पन्न किए जाते हैं।आज मन इच्छित फल प्राप्ति के लिए यज्ञ किए जाते हैं।

यह तिथि ऋतु का सन्धि काल भी है। विष्णु धर्म सूत्र, मत्स्यपुराण, नारद पुराण बताते है की आज के दिन नर- नारायण और परशुराम जी का अवतार हुआ था, भगवान परशुराम विष्णु के अंशावतार हैं और दशावतारों में उनकी गिनती होती है। आज के दिन पुनर्वसु नक्षत्र में उनका जन्म उच्च के छः ग्रहों में हुआ ऐसे सुयोग में जन्म होना अभूतपूर्व संयोग है। कहा भी गया है कि—
वैशाखस्य सिते पक्षे तृतीयायां पुनर्वसौ।
निशाया: प्रथमे यामे रामाख्य: समये हरि: ।।
स्वोच्चगै: षड्ग्रहैर्युक्ते मिथुने राहुसंस्थिते।
रेणुकायास्तु यो गर्भादवतीर्णो विभु: स्वयम् ।।

तृतीया तिथि, शनि वार व कृतिका नक्षत्र का योग हैं, शिव के परशु को धारण करने से इनका नाम परशुराम पड़ा ।आज अक्षय तृतीया तथा पृथिवी दिवस पर सबके कल्याण की कामना करते हुए, ईश्वर से प्रार्थना है कि समस्त मानव जाति का उद्धार हो और सबका जीवन मंगलमय हो।

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