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नैनीताल :- उत्तराखंड हाईकोर्ट में एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष पर दुष्कर्म करने के मामले में उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। मामले को सुनने के बाद न्यायमुर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने उनकी अग्रिम जमानत प्राथर्ना पत्र को निरस्त कर दी है। आज सुनवाई के दौरान पीड़िता की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया कि अभियुक्त की पूर्व में गिरफ्तारी पर रोक लगी थी उसके बाद भी वह पीड़िता को डराया धमकाया करता रहा। अभियुक्त ने अपनी गिरफ्तारी के आदेश का गलत इस्तेमाल किया है। अभियुक्त का परिवार राजनीतिक पार्टी से सम्बन्ध रखता है वह बार बार पीड़िता को थाने में बुलाकर केस वापस लेने का दवाब बनाता रहा। उसने पीड़िता के साथ कई बार सम्बन्ध बनाए जब उसने मना किया तो उसने उसका मानशिक शारीरिक शोषण करना शुरू कर दिया। पुलिस द्वारा पीड़िता का मुकदमा दर्ज नही किया। एसएसपी को शिकायत करने पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। सरकार की तरफ से कहा गया कि इसके पास पिस्टल है। उसको लेकर अक्सर अभियुक्त अपने साथियों के साथ उसका पीछा करने व घर जाकर धमकी देता रहा। जबकि अभियुक्त की तरफ से कहा गया कि यह रेप का केश नही है। पीड़िता व अभियुक्त एक दूसरे की 2018 से जानते है। अब जाकर पीड़िता ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। इनके बीच जो सम्बन्ध बने आपसी रजामंदी से हुए। इसलिए यह रेप का केस नही है। अभियुक्त को इसमे गलत नियत से फसाया जा रहा है।
मामले के अनुसार 2013-2014 में एनएसयूआई नैनीताल जिलाध्यक्ष रह चुके तरुण साह के खिलाफ एक महिला ने मुखानी थाना पुलिस को तहरीर देकर कहा था कि तरुण साह ने 2018 में उससे अवैध संबंध बनाए। उसके पति की बीमारी का फायदा उठाकर आरोपी ने उसके साथ जबरदस्ती की। वह उसके घर आकर अवैध संबंध बनाता था। लोक-लाज का हवाला देकर उसे चुप कराता रहा और बार-बार धमकी देकर शारीरिक शोषण करता रहा। 2019 में महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया। महिला के अनुसार वह बच्चा भी तरुण साह का है।

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